राष्ट्र चेतना का काम कर रही है संस्कार भारती- सुने
बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील
संस्कार भारती ललित कला एवं साहित्य के माध्यम से राष्ट्र चेतना का जागरण काम कर रहीं हैं । " सा कला या विमुक्तये अर्थात कला वह है जो बुराइयों के बंधन को काट कर मुक्ति प्रदान करे " उक्त विचार संस्कार भारती बैतुल के संरक्षक अंबादास सूने ने व्यक्त किये । इसके पूर्व नटराजन पूजन एवं दीप प्रज्वलित किया गया । संस्कार भारती के सभी सदस्यों ने भी नटराज पूजन किया। संस्कार भारती की जानकारी देते हुए अंबादास सूने ने बताया कि 1954 मे संस्कार भारती की परिकल्पना की गई ओर 1981 में गोरखपुर में पद्मश्री डाक्टर वाकणकर जी ने इसकी स्थापना की। आज हमें संगठित होकर राष्ट्र हित में कार्य करने की आवश्यकता है । लार्ड मैकाले की शिक्षा हमें हमारी संस्कृति से दूर कर रही है। भारत का गोरवशाली इतिहास रहा है, नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्व विद्यालय भारत में रहें हैं, जहां विदेशों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र आते थे।इस मौके पर संस्कार भारती के मंत्री पुष्पलता बारंगे, अमित सलाम,सह कोष प्रमुख संतोष प्रजापति, पीएन बारंगे , पीआर देवडे, हरिओम कुशवाहा,भू-अलंकरण विधा प्रमुख कल्पना सोनी, कविता झरबडे, सोनी कुशवाहा, इंदिरा चोकीकर,रूबी महतो , किरण यादव, मंदा देवडे सहित अनेक लोग उपस्थित थे ।