शिव बाड़मेर से मूलाराम चौधरी की रिपोर्ट
बाड़मेर के शिव की बात करें तो यहां लाखों मैट्रिक टन मूंगफली का उत्पादन हुआ है और सरकारी खरीद के लिए यहा कोई सेंटर नही बनाए हैं।
इस बार मूंगफली की अच्छी पैदावार हुई है। साथ ही मंडियों में मूंगफली की आवक बढ़ गई है।
आलम ये है कि मंडियों में मूंगफली के ढेर लग गए हैं। लेकिन खरीददार नहीं हैं। किसानों को ओने पोने दामों पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
किसानों को उपज का अच्छा मूल्य देने को लेकर केन्द्र सरकार ने इस वर्ष प्रदेश में मूंग, मूंगफली व अन्य फसलों का समर्थन मूल्य घोषित कर इन्हें खरीदने का निर्णय किया।
बाजार भाव से समर्थन मूल्य पर अधिक मिलने से किसानों में खुशी थी पर खरीद केंद्र नहीं खुलने से आज किसानों को मूंगफली कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
मूंगफली की बड़ी उपज लेकिन खरीद केन्द्र नहीं होने से मायूस किसान
जिले व क्षेत्र में बड़े स्तर पर मूंगफली की उपज के बावजूद खरीद केंद्र नहीं खुलने से किसानों को मजबूर होना पड़ रही है।अच्छा मुनाफा कमाने की उम्मीद मे जून जूलाई में बोयी गई मूगफली की फसल लम्बे समय बाद मण्डी में कम दाम मिलने के कारण किसानो को अपनी फसल की लागत निकालना मुश्किल हो गया है।
मूंगफली का किसानों को लागत मूल्य नहीं मिल रही है मंडियों में अधिक आवक होने व खरीदार नहीं मिलने के कारण दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है।
"किसान मूलाराम राव बुढातला"
मूंगफली का किसानों को लागत मूल्य नहीं मिल रही है मंडियों में अधिक आवक होने व खरीदार नहीं मिलने के कारण दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है
"किसान मूलाराम राव बुढातला"