मुख्य समारोह इंदौर के नेहरू स्टेडियम में होगा
गौरव यात्राओं का होगा समागम
होशंगाबाद राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 4 दिसंबर को जनजातीय गौरव, स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर उनकी कर्म-स्थली पातालपानी में टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण कर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद नेहरू स्टेडियम इंदौर में टंट्या मामा की पुण्य-तिथि समारोह में शामिल होंगे।
राज्यपाल श्री पटेल एवं मुख्यमंत्री श्री चौहान इंदौर के नेहरू स्टेडियम में लगाई गई जननायक टंट्या मामा के जीवन काल पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान टंट्या मामा गौरव कलश रथ एवं टंट्या मामा के वंशजों का स्वागत करेंगे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। इंदौर जिले के प्रभारी एवं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, जनजाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह सहित अन्य जन-प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।
दस फीट की प्रतिमा
टंट्या मामा की नवीन प्रतिमा स्थापना के लिए ग्वालियर से आ चुकी है। लगभग दस फुट ऊँची इस प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। राज्यपाल श्री पटेल और मुख्यमंत्री श्री चौहान पातालपानी रेलवे स्टेशन में बने कालका माता मंदिर में पूजन और पौध-रोपण भी करेंगे।कर्म-स्थली के रूप में भी जाना जाता है पातालपानी
अंग्रेज अधिकारी टंट्या मामा के अदम्य साहस को स्वीकार करते थे और उनके नाम से थर्राते भी थे। टंट्या मामा निर्धनों की मदद के लिए सक्रिय रहते थे। उनकी गतिविधियों से अंग्रेज अधिकारी खौफ भी खाते थे। इसलिए बहुत से अंग्रेज अधिकारियों द्वारा टंट्या मामा को इंडियन रॉबिन हुड भी कहा गया था।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे टंट्या भील बताते हैं कि अनेक तरह के पशु-पक्षियों की आवाज निकालने में माहिर टंट्या मामा ने खुशी-खुशी फाँसी के फंदे को चूमा था। उनसे अंग्रेज सैनिक थर्राते थे। उन्होंने देश के स्वाभिमान और स्वतंत्रता के मूल्य से लोगों को अवगत करवाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर बहुत जतन किए। मुख्यमंत्री श्री चौहान के शब्दों में कहें तो सभी के श्रद्धा के केंद्र, जनजातीय गौरव, देश के स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक, क्रांतिकारी बलिदानी टंट्या मामा सभी के लिये पूज्यनीय हैं। उनके द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में जो सहयोग दिया गया वह आज भी हमें प्रेरणा देता है। ऐसे महानायक को उनके बलिदान दिवस पर मैं उनकी कर्म-स्थली पातालपानी जाकर नमन करुँगा।
आज भी सुनाई जाती हैं टंटया मामा की साहस गाथाएँ
जननायक टंट्या मामा साहस और शौर्य के प्रतीक रहे हैं। निमाड़ और मालवा अंचल में उनके योगदान की गाथाएँ घर-घर में सुनी और सुनाई जाती हैं। वर्ष 1842 में जन्मे देश भक्त जननायक टंट्या मामा को 1889 में ब्रिटिश सत्ता द्वारा फाँसी दे दी गई थी। टंट्या भील सिर्फ 47 वर्ष जीवन जिए, लेकिन कार्य दो सदियों का कर गए। उन्होंने जनजातीय समाज में आपसी विवादों को सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाई थी, वे सच्चे अर्थों में जननायक थे। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने टंट्या भील के योगदान पर केंद्रित नाटक का मंचन करवाया है।
गौरव यात्रा जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस के पूर्व खंडवा ज़िले के बड़ौद अहिर और रतलाम ज़िले से निकली दो गौरव यात्रा इन्दौर शहर में प्रवेश करेंगी, जिनका समागम धार में हो रहा है। ये यात्राएँ सम्मिलित रूप से इंदौर में राजवाड़ा पहुँचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समाप्त होगी। चार दिसंबर की सुबह लगभग नौ बजे यात्रा नेहरू स्टेडियम से प्रारंभ होकर भँवरकुंआ चौराहा इंदौर पहुँचेगी। इस चौराहे का नामकरण टंट्या भील चौराहा के नाम पर समारोहपूर्वक किया जाएगा। कार्यक्रम में नामकरण के शिलालेख का अनावरण भी होगा। यहीं से लगभग 5 हज़ार की संख्या में मोटर साइकिल रैली भी निकलेगी।तैयारियों का लिया जायजा इंदौर के प्रभारी और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने नेहरू स्टेडियम इंदौर में होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारियों का जायज़ा लिया। समारोह की तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं। लगभग एक लाख जनजातीय समाज जन-समारोह में हिस्सेदारी के लिए आतुर हैं।स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों सहित प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य श्रीमती पल्लवी जैन और प्रमुख सचिव तथा प्रबंध संचालक पर्यटन विकास बोर्ड, आयुक्त-सह-संचालक स्वराज संस्थान और पर्यटन एवं न्यासी सचिव भारत भवन, संस्कृति, पर्यटन एवं जनसम्पर्क श्री शिवशेखर शुक्ला ने भी पातालपानी और नेहरू स्टेडियम इंदौर में होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की। संभागायुक्त इंदौर डॉ. पवन कुमार शर्मा और कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने प्रशासनिक तैयारियाँ भी सुनिश्चित कर ली है।