चरखी दादरी (उमेश सतसाहेब)
चरखी दादरी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द किए जाने की घोषणा के बाद किसानों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी खुशी जाहिर की है। मनीषा सांगवान फाऊंडेशन की चेयरपर्सन व कांग्रेस नेत्री मनीषा सांगवान ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि तीनों कृषि कानून वापस होना किसानों की एकता की जीत है। उन्होंने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि आजादी के बाद सबसे लम्बे व शांतिपूर्ण आंदोलन में सभी वर्गों के सहयोग से सफलता मिली है, इससे स्पष्ट हो गया है कि किसानों की मांगे जायज थी।उन्होंने कहा कि यदि तीनों कृषि कानून लागू हो जाते तो किसानों की बर्बादी होती,लेकिन अब ऐसी बर्बादी होने से बच जाएगी। जिस तरह से किसानों ने 1 साल तक संघर्ष किया है उसी का परिणाम है कि सरकार को झुकना पड़ा। देर से ही सही लेकिन सरकार के समझ में आ गया कि किसानों को दबाया नहीं जा सकता इसलिए तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। तानाशाही का रवैया चाहे जितना भी सरकार अपना ले लेकिन यह भारत का किसान है जो अंग्रेजो के सामने ही नहीं झुका था जबकि अब तो देश आजाद है, संविधान ने आवाज उठाने का जो अधिकार दिया है उसका पूरे देश के किसानों ने बेहतरीन उपयोग किया। मनीषा सांगवान ने कहा कि आंदोलन में जिन 700 से अधिक किसानों ने जान की कुर्बानी दी उनके प्रति भी सरकार अपना फर्ज पूरा करे क्योंकि अगर समय रहते अगर मांगों को स्वीकार कर लिया जाता तो सैकडों किसानों के घरों में अंधेरा न होता।