बंगाल में भाजपा की जीत का झंडा हुआ बुलंद, ममता बनर्जी के लिए आगे खड़ी हो सकती है मुश्किलें
बंगाल में भाजपा की जीत का झंडा हुआ बुलंद, ममता बनर्जी के लिए आगे खड़ी हो सकती है मुश्किलें
*3 से 77 सीटों का आंकड़ा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का सक्रियता का नतीजा है*
*दीदी के सामने एक बेहतर मौका शांतिपूर्ण ढंग से करें प्रदेश का संचालन* 
*महामारी से जूझ रहे मध्यप्रदेश को अपने नेता कैलाश विजयवर्गीय की आवश्यकता*

देश में 5 दिन पहले बंगाल में आए विधानसभा चुनावों के नतीजें भले ही भाजपा की उम्मीद से उलट रहे हो। लेकिन नतीजे आने के बाद भाजपा के खाते में जो सीटें आई है उसने कहीं न कहीं टीएमसी सहित बंगाल में सक्रिय अन्य राजनीतिक पार्टियों की जमीन हिला दी है। एक वक्त था जब भाजपा के लिए बंगाल में दहाई का आंकड़ा पार करना भी मुश्किल था। लेकिन आज वो दिन है जब भारतीय जनता पार्टी के पास 294 में से 77 विधायक है जो विधानसभा में सरकार के गलत फैसलों की बखिया उधेड़ने के लिए पर्याप्त है। बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 38.1 फीसदी है जबकि ममता बनर्जी का 47.94 फीसदी, ममता बनर्जी को 294 में से 213 और बीजेपी को 77 सीटों पर जीत मिली। ममता बनर्जी को बीजेपी से करीब 10 फीसदी वोट ज्यादा मिले हैं और यह कोई छोटा फासला नहीं है। बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 40.30 फीसदी वोट मिले थे। दूसरी तरफ़ टीएमसी का 2019 में 43.30 फ़ीसदी से बढ़कर 48.20 प्रतिशत हो गया। देखा जाए तो भाजपा ने बंगाल में जो स्थान कायम किया है उसका श्रेय राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को जाता है। जो बीते पांच वर्षो से भी अधिक समय से विपरीत परिस्थितियों में बंगाल में डटे रहे और उन्होंने लोगों से संपर्क कर भाजपा की नींव को मजबूती दी। भाजपा नेताओं को एक बात स्वीकार होगी कि बंगाल की जनता अन्य प्रदेशों की तरह बिल्कुल नहीं चुनाव को देखती है। वहां की जनता बेहतर संवेदनशील और अपने अधिकारों के लिए जागरूक है और इसका प्रमाण है नंदीग्राम से ममता बनर्जी का चुनाव हार जाना। भले ही ममता बनर्जी एक बार फिर बंगाल की मुख्यमंत्री बन जाए लेकिन भाजपा नेताओं ने बीते आठ महीनों से जो जनता के बीच में अपनी पहुंच बनाई है उसने कहीं न कहीं ममता की रातों की नींद गायब कर दी है। यह विजयवर्गीय की सक्रियता और व्यक्तित्व कौशल को दर्शाता है कि उन्होंने इतने कम समय में भाजपा को कितनी सीटों पर लाकर खड़ा कर दिया। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार न बना ले। खेर,चुनाव हो गए परिणाम आ गए और ममता बनर्जी की पार्टी ने सरकार भी बना ली। लेकिन न तो ममता और न ही उनकी पार्टी के लोग अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। मारपीट लड़ाई दंगा यह आखिर कब तक चलेगा। चुनाव रिजल्ट के दिन पहले भाजपा कार्यालय के पास आगजनी, उसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट आखिर टीएमसी चाहती है क्या है। दीदी के पास एक बेहतर मौका है कि वो अपनी और अपनी पार्टी की छवि सुधारे और एक बेहतर सरकार का संचालन करें। जनता ने उन्हें जिस विश्वास के साथ फिर से बंगाल की कमान सौंपी है उस विश्वास को कायम रखे इसी में खुद की और पार्टी की भलाई है।
*प्रदेश में वापस आकर महामारी से निजाद दिलाये कैलाश*
             बीजेपी के संकटमोचन माने जाने वाले कैलाश विजवर्गीय ने अपनी कुशलता का परिचय बंगाल सहित अन्य राज्यो में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दिया है। समूचा मध्यप्रदेश इनदिनों कोविड की महामारी से जूझ रहा है ऐसे में अब प्रदेश को एक बार फिर कैलाश जी की आवश्यकता है। जनता चाहती है कि वो वापस आकर प्रदेश की कोविड को लेकर हो रही व्यवस्था में अपना मार्गदर्शन दे ताकि जल्द ही इस महामारी से मुक्ति मिल पाए। प्रदेश ने कैलाश जी को बहुत कुछ दिया यह उनका अपना प्रदेश है ऐसे में यहाँ की जनता की सुरक्षा करना उनका प्राथमिक दायित्व है।