कोरोना महामारी को लेकर शहर लाकडाउन है। फिर भी सड़कों पर लोगों के कदम नहीं थिरक रहे हैं। एक तरफ शहर की सभी दुकानें बंद है। फिर भी किसी न किसी बहाने लोग बाहर घूमने से बाज नहीं आ रहे हैं। स्थिति यह है लाकडाउन के चलते मार्केट में सन्नटा पसरा है। फिर लोग बिना वहज बाहर निकल कर खुद के साथ ही अपने परिवार की जान जोखिम में डाल रहे हैं। शहर की दुकानों व बाजारों में उमड़ रही भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने लाकडाउन जैसे सख्त कदम उठाए है। दरअसल, शहरवासियों को कोरोना का भय नहीं है। यही वजह है कि जब दुकानें खुली थी, तब भीड़ बाहर निकल रही थी। प्रशासनिक नियंत्रण सख्त होने व लाकडाउन के बाद भी लोग अपनी जागरूकता का परिचय देने के बजाए लापरवाही का नमूना दिखा रहे हैं। आलम यह है कि लाकडाउन के महज चार दिन हुए हैं फिर भी लोग अपने घर में नहीं ठहर पा रहे हैं। सब्जी मार्केट, किराना दुकान से लेकर जरूरत की सभी दुकानों को बंद करना पड़ा है। ताकि, लोग बहाना बनाकर बाहर न निकल सके। अतिआवश्यक जैसे मेडिकल स्टोर, अस्पताल वगैरह खुले हैं। वहीं, सुबह शाम दूध के लिए डेयरी की दुकानें खुल रही हैं। मतलब अतिआवश्यक होने पर ही लोगों को घर से बाहर निकलने की छूट है। इस दौरान शहर के चैक-चैराहों पर पुलिस का पहरा है और टीम लगातार पेट्रोलिंग भी कर रही है।
हालाकि, पुलिस भी इस बार लाकडाउन के पिछली बार की तरह जोखिम उठाने से बच रही है। हर एक व्यक्ति की जांच करने व कार्रवाई करने के बजाए सिर्फ टोकाटाकी कर औपचारिकता पूरी कर रही है। वहीं, लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की समझाइश दे रही है। फिर भी लोग अपने घरों में रहकर परेशान होने लगे हैं। कोई दूध खरीदने के बहाने बाहर निकल रहा है तो कोई मेडिकल स्टोर जाने के बहाने घूम रहा है।
लेकिन इस असावधानी अपने खुद के लिए जोखिम भरा हो सकता है। वर्तमान समय में घर में रहना ही समझादारी है। क्योंकि अस्पताल में बेड खाली नहीं है और संक्रमित होने पर खतरे की आशंका है।