वन्य जीव सुरक्षा सप्ताह के तहत वन्य जीव प्रेमियों ने कि वन्यजीवों के संरक्षण की मांग।

वन्य जीव सुरक्षा सप्ताह के तहत वन्य जीव प्रेमियों ने कि वन्यजीवों के संरक्षण की मांग।



थराली चमोली


रिपोर्ट केशर सिंह नेगी
 कुलसारी के मैटा तल्ला एवं माल बजवाड़ अलग अलग स्थानों में आयोजित वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत स्थानीय लोगों को वन्य प्राणियों एवं जीवो के संरक्षण से अवगत कराते हुए वन पंचायत नेल ढालू के सरपंच महिपाल सिंह रावत ने कहा कि 
वन्य जीवों का वनो से अटूट रिश्ता है। वनों में रहने वाले जीव – जंतु और पक्षियों के लिए यही वन उनका घर है। मनुष्य के लिए वन प्रकृति का ऐसा वरदान है, जिस पर उसका अस्तित्व,उन्नति एवं समद्धि निर्भर है। वन्य जीवों से मानव जाति को अनेकानेक लाभ प्राप्त हो रहे है। पर्यटन के क्षेत्र में वन्य प्राणियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वन्य प्राणियों से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। लेकिन
औद्योगिकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण वनक्षेत्र सिमटते चले जा रहे है। इसके कारण वन्य जीवों की प्रजाति नष्ट होने लगी है। वन्य जीवों का नष्ट एवं विलुप्त होना हमारे लिए खतरे का संकेत है। मानव जाति को यदि अपना अस्तित्व बनाए रखना है, पर्यावरण को संतुलित रखना है। पर्यटन को बढ़ावा देना है, एवं वनों को बचाए रखना है तो वन्य जीवों का संरक्षण करना होगा। वन आरक्षी देवी दत्त जोशी ने कहा कि वन्य जीवों को सुरक्षित रखना मानव जाति का आवश्यक कर्तव्य है। आज पूरे देश में वन्य जीवों का रक्षण करने के लिए राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्यों की स्थापना की गई है। एम एल घुनियाल एवं वन आरक्षी मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि वन्य जीवों का वनो से अटूट रिश्ता है। वनों में रहने वाले जीव – जंतु और पक्षियों के लिए यही वन उनका घर है। मनुष्य के लिए वन प्रकृति का ऐसा वरदान है, जिस पर उसका अस्तित्व,उन्नति एवं समद्धि निर्भर है। वन्य जीवों से मानव जाति को अनेकानेक लाभ प्राप्त हो रहे है। वन्य प्राणियों से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।
वन पंचायत सरपंच बलवंत सिंह रावत ने कहा कि यद्यपि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार की ओर से त्रीव गति से प्रयास किये जा रहे हैं, परन्तु अभी भी इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है। जीवो की तस्करी करने वालों के लिए सख्त कानून बनाना चाहिये। पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले उद्योगों की स्थापना हेतु सुरक्षात्मक उपायों को कानूनन अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
भोला प्रसाद ने कहा कि भारत में वन्यजीव संरक्षण को पहले ही से महत्व दिया जा रहा है केन्द्र सरकार ने भारतीय बन्यजीव (संरक्षण) अघिनियम, 1972 द्वारा इसे कानूनी रूप प्रदान किया है । इसके तहत संकटग्रस्त प्रजातियों की रक्षा, शिकार प्रतिबन्धन, वन्यजीव आवास पर कानूनी रक्षण तथा जंगली जीवों के व्यापार पर रोक लगाने पर बल दिया गया है । इस दौरान  प पूर्व प्रधान अव्वल सिंह नेगी नीलेश जोशी, जगमोहन सिंह कुन्दन सिंह   भूपेंद्र सिंह  मंशा देवी  आदि ने भाग लिया।