मसनगांव - पिछले वर्ष खराब हुई खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन का बीमा किसानों को 1 वर्ष बाद भी नहीं मिल सका क्षेत्र के अधिकांश किसानों ने फसल बुवाई के पश्चात बैंकों के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा कराया था जो अतिवृष्टि के कारण खराब हो गई इसका उत्पादन प्रभावित होने से किसानों द्वारा बीमा कंपनी से बीमा राशि दिए जाने की मांग की गई थी परंतु शासन द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से एक वर्ष बाद भी किसानों को बीमा की राशि नहीं मिल सकती जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है किसानों का कहना है कि जिस उद्देश्य उन्होंने अपनी फसलों का बीमा कराया था वह पूरा नहीं हो सका फसल खराब होने के तुरंत बाद बीमा कंपनी तथा सरकार को किसानों के खातों में राशि डालनी चाहिए थी परंतु शासन द्वारा अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने से किसान की हालत खराब बनी हुई है इस वर्ष भी 31 जुलाई को जिन किसानों के बैंकों में कैसी सी बने हुए हैं उनकी राशि काटकर बीमा कंपनी को भेज दी गई है परंतु फसल खराब होने के वावजुद कंपनी किसानो को राशि देने मे आनाकानी की जा रही है फसल कटाई के दौरान उत्पादन कम निकलने का आकलन होने के वाद भी सरकार द्वारा राशि नही दिये जाने से किसान अपने को लुटा पिटा महसूस कर रहे हैं इस संबंध में किसानों का मानना है कि सरकार किसानों से पैसे लेते समय तुरंत बीमे की राशि काट लेती है वही देते समय कई बहाने वनाते हुए समय निकाल दिया जाता है इस सबंध मे जिले के अग्रणी कृषक रामनिवास पटेल हरनारायण छलोत्रे का कहना है की सरकार की नीतियां मरे हुए का श्राद्ध करने जैसी है जब किसानो की फसल खराब होती है तो तुरंत उसकी बीमे की राशि दी जानी चाहिए वही उसकी फसल को एम एस पी पर खरीदी की जानी चाहिए।यदि सरकार एक बषॅ वाद राशि देती है तो उसका कोई औचित्य नही निकलता क्योकी इतनी राशि बैंक ब्याज मे ही जमा कर लेती है किसान के हाथ खाली रह जाता है। उन्होंने शासन से शीघ्र बीमे की राशि देने तथा एमएसपी पर किसानो कि उपज को खरीदी की मांग की है।
अनिल दीपावरे की रिपोर्ट
एक साल वाद भी नही मिला खरीफ फसल का बीमा किसानो की आथिॅक स्थिती डगमगाई