होशंगाबाद- कंगाली और अग्रसर हैं नगरपालिका, मजदूर संघ ने लगाया आरोप, मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष महेश वर्मा ने बताया हैं कि पिछले 15 वर्षो से नगरपालिका धीरे धीरे कंगाली की और बढ रही हैं, क्योंकि तत्कालीन न. पा. अध्यक्षों, सीएमओ, व सहायक यंत्री, उपयंत्री का इसमे सबसे बडा योगदान हैं अमृत पेयजल योजना जो करोडो की लागत पर पहुंच गई हैं इस योजना की शहर होशंगाबाद में जरूरत नहीं थी फिर भी चलायमान की गई शहर में जितनी पानी की टंकी बनी हैं सबको भरने के लिए नीचे नलकूपो का खनन और विधुत व्यवस्था में योजना से अलग हटकर व्यय किया गया जबकि तय यह था कि इंटकबैल से सभी पानी की टंकी भरके मां नर्मदा का जल अमृत जैसा सभी निवासियों को सप्लाई किया जावेगा परंतु नलकूप खनन कर टंकी भरके अमृत जल को विष जैसा बना दिया गया हैं, नलकूपो का पानी तो पहले से ही शहर के लोग पी रहे थे जन-भावना से खेलकर शहर के लोगों के साथ धोखा किया गया नगरपालिका पर अतिरिक्त व्यय बोझ विधुत का डाला गया इसके लिए दोषी कौन हैं, योजना से जुडें सभी संबधित लोगो ने अकंठ भ्रष्टाचार किया और अमृत योजना पूरी तरह से फेल हैं जो की जांच का विषय हैं शासन से आने वाली चुंगी छति पूरती राशि से एक मोटी रकम का भुगतान अमृत योजना को लेकर किया जाता हैं जिससे कर्मचारियों के मासिक वेतन व अन्य व्यय को लेकर हमेशा नगरपालिका संघर्ष रत रहती हैं जिन्होंने ने भ्रष्टाचार कर माल कमाया हैं वह सब नगरपालिका को कंगाली की और धकेल कर चैन की वंशी बजा रहे हैं कुछ हद तक विधायक महोदय जी भी इसके लिए दोषी हैं क्योंकि उनके द्वारा समय पर इस योजना को लेकर ध्यान नहीं दिया गया, जिस काम से आमदानी न होकर लागत से अधिक कर्मचारियों को मासिक वेतन का भुगतान किया जा रहा हैं उन कामों को बंद या सुधार करने की आवश्यकता हैं पानी के टैंकर से जो सप्लाई की जाती हैं वो आमदनी और ईधन का आकंलन देखा जाये, अतिक्रमण दस्ता जो चलायमान हैं उससे होने वाली आमदानी व वेतन व्यय का आकंलन किया जावे ऐसा अक्सर सुनने को मिलता हैं जो मजहबी फल, सब्जी, हाथ ठेला विक्रेता हैं उनके सामान की कभी भी जप्ती नहीं बनाई जाती उनके हाथ ठेले कभी नहीं पलटाये जाते न ही तराजू बांट उठाये जाते हैं और दूसरे गरीबों की सब्जी फेंककर अन्य जप्ती बनाकर परेशान किया जाता हैं और जो जेब गरम कर देते हैं उनका पूरा ध्यान रखा जाता हैं आखिर ऐसा दोगला और सौतेला व्यवहार कर्मचारियों के द्वारा क्यों किया जाता हैं इस विषय पर नगरपालिका अधिकारी को संग्यान लेना चाहिए, पिछले लगभग छै वर्षो से जल प्रदाय विभाग के कर्मचारियों के साप्ताहिक अवकाश बंद कर संविधान व मानव अधिकारों का हनन कर शोषण किया जा रहा हैं जबकि नगरपालिका अधिकारी की इच्छाशक्ति हो तो इस कुरीति का अंत किया जा सकता हैं परंतु शोषण करना ही अपना धर्म बना लिया हो तो ऐसे में कोई कुछ नहीं कर सकता नगरपालिका के अधिकतर विभागों में जूनियर कर्मचारियों को सर्वेसर्वा बनाकर सीनियर और अनुभवी कर्मचारियों का भी शोषण जारी है पूछने पर यह बताया जाता हैं कि नगरपालिका अधिकारी ने आदेश किये हैं ऐसा प्रचार प्रसार कर सीएमओ की छवि कर्मचारी विरोधी बनाई जा रही हैं, नगर पालिका प्रशासन ऐसे सभी काम जो नगरपालिका द्वारा संचालित हैं और घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं उन्हें बंद करदे या बदलाव करे,, एक टारगेट के तहत अतिक्रमण दस्ता चलाया जावे पानी के टेंकर से होने वाली आय ईधन खपत को भी देखा जाये और जो अतिरिक्त कर्मचारी कार्यालय व अन्य जगह पर हैं जो जल प्रदाय विभाग के कर्मचारियों को दूसरे कामो में लगाकर रखा हैं उन्हें साप्ताहिक अवकाश की सुविधा के लिए लगाया जावे और समय रहते वह सभी काम बंद या बदलाव किया जावे जो नगरपालिका को कंगाली की और ले जा रहे हैं बिना काम के जो भी कर्मचारी वेतन ले रहे हैं उनको अन्य स्थान पर काम के लिए रखा जावे। प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट
कंगाली और अग्रसर हैं नगरपालिका, मजदूर संघ ने लगाया आरोप