होशंगाबाद- जिला मुख्यालय पर नहीं रहते औषधि निरीक्षक, , जिला मुख्यालय पर कई वर्षों से औषधि निरीक्षक का पद केवल कागजी कार्रवाईयो में ही सिमट कर रह गया है। यहां जो भी अधिकारी पदस्थ होते हैं वह दूसरे जिले में पदस्थ रहते हैं लेकिन प्रभार होशंगाबाद जिले का उन्हें मिल जाता है।औषधि निरीक्षक भोपाल से अप डाउन करके बरसों से अपनी सेवाएं कागजों में दे रहे हैं। उनके द्वारा ना तो मेडिकल संस्थानों की जांच की जाती है नाही मेडिकल स्टोर को लेकर कोई कार्यवाही की जाती है ऑफिस में सिर्फ़ एक बाबू बैठा हुआ है जिसके भरोसे पूरा ऑफिस संचालित है। बताया जाता है कि यह बाबू भी विगत कुछ वर्ष पहले चपरासी के पद पर पदस्थ था लेकिन बाद में लिपिक पद पर पदस्थ हो गया। ऑफिस का सारा दारोमदार इसी बाबू के कंधों पर है। लाइसेंस प्रक्रिया से ले कर अन्य प्रक्रिया संबंधी सारी प्रक्रिया इन्हीं के द्वारा की जाती है।वर्तमान में पदस्थ औषधि निरीक्षक किरण मगरे जिला कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते हैं वह कब आते हैं और कब जाते हैं इस बात का पता ऑफिस के आसपास वालों को भी नहीं चलता।
इन दिनों विश्व की महामारी कोविड-19 के तहत जिला मुख्यालय पर स्थित खाद्य एवं औषधि विभाग के औषधि निरीक्षक का रहना आवश्यक है लेकिन किरन मगरे उपस्थिति नहीं रहते हैं ।औषधि विभाग की मेडिकल की जानकारी लेने के लिए उक्त अधिकारी को फोन लगाया जा जाता है पर निरीक्षक द्वारा फोन नहीं उठाया जाता। किरण मगरे की पोस्टिंग सीहोर जिले में है उन्हें होशंगाबाद जिले का प्रभार दिया गया है। वर्षों से होशंगाबाद जिले में इसी तरह के अधिकारी पदस्थ हो रहे हैं जिनके पास दूसरे जिले का भी प्रभार होता है जिले पर मेडिकल स्टोर की जांच होना अनिवार्य है लेकिन औषधि निरीक्षक द्वारा मेडिकल स्टोरों की जांच नहीं की जाना भी सरकारी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट
औषधि कारोबार को लेकर औषधि प्रशासन बेखबर